पति पत्नी में अगर किसी तरह भी निबाह नहीं हो पा रहा है तो अपनी ज़िदगी जहन्नम बनाने से बहतर है कि वो अलग हो कर अपनी ज़िन्दगी का सफ़र अपनी मर्ज़ी से पूरा करें जो कि इंसान होने के नाते उनका हक है |
इसी लिए दुनियां भर के कानून में तलाक़ की गुंजाइश मौजूद है | और इसी लिए पैगम्बरों के दीन (धर्म) में भी तलाक़ की गुंजाइश हमेशा से रही है, दीने इब्राहीम की रिवायात के मुताबिक अरब जाहिलियत के दौर में भी तलाक़ से अनजान नहीं थे, उनका इतिहास बताता है कि तलाक़ का कानून उनके यहाँ भी लगभग वही था जो अब इस्लाम में है लेकिन कुछ बिदअतें उन्होंने इसमें भी दाखिल कर दी थी |किसी जोड़े में तलाक की नौबत आने से पहले हर किसी की यह कोशिश होनी चाहिए कि जो रिश्ते की डोर एक बार बन्ध गई है उसे मुमकिन हद तक टूटने से बचाया जाए |
जब किसी पति पत्नी का झगड़ा बढ़ता दिखाई दे तो अल्लाह ने कुरआन में उनके करीबी रिश्तेदारों और उनका भला चाहने वालों को यह हिदायत दी है कि वो आगे बढ़ें और मामले को सुधारने की कोशिश करें इसका तरीका कुरआन ने यह बतलाया है कि एक फैसला करने वाला शोहर के खानदान में से मुकर्रर करें और एक फैसला करने वाला बीवी के खानदान में से चुने और वो दोनों जज मिल कर उनमे सुलह कराने की कोशिश करें, इससे उम्मीद है कि जिस झगड़े को पति पत्नी नहीं सुलझा सके वो खानदान के बुज़ुर्ग और दूसरे हमदर्द लोगों के बीच में आने से सुलझ जाए.अल्लाह ने कुरआन में इसे कुछ यूं बयान किया है :और अगर तुम्हे शोहर बीवी में फूट पड़ जाने का अंदेशा हो तो एक हकम (जज) मर्द के लोगों में से और एक औरत के लोगों में से मुक़र्रर कर दो, अगर शोहर बीवी दोनों सुलह चाहेंगे तो अल्लाह उनके बीच सुलह करा देगा, बेशक अल्लाह सब कुछ जानने वाला और सब की खबर रखने वाला है | (कुरआन सूरह अन- निसा 35).
इसके बावजूद भी अगर शोहर और बीवी दोनों या दोनों में से किसी एक ने तलाक का फैसला कर ही लिया है तो शोहर बीवी के खास दिनों (Menstruation) के आने का इन्तिज़ार करे, और खास दिनों के गुज़र जाने के बाद जब बीवी पाक़ हो जाए तो बिना हम बिस्तर हुए कम से कम दो जुम्मेदार लोगों को गवाह बना कर उनके सामने बीवी को एक तलाक दे, यानि शोहर बीवी से सिर्फ इतना कहे कि "मैं तुम्हे तलाक देता हूँ"
तलाक हर हाल में एक ही दी जाएगी दो या तीन या सौ नहीं, जो लोग जिहालत की हदें पार करते हुए दो तीन या हज़ार तलाक बोल देते हैं यह इस्लाम के बिल्कुल खिलाफ अमल है और बहुत बड़ा गुनाह है | अल्लाह के रसूल (सल्लाहू अलैहि वसल्लम) के फरमान के मुताबिक जो ऐसा बोलता है वो इस्लामी शर्यत और कुरआन की मज़ाक उड़ा रहा होता है |इस एक तलाक के बाद बीवी 3 महीने यानि 3 तीन हैज़ (जिन्हें इद्दत कहा जाता है और अगर वो प्रेग्नेंट है तो बच्चा होने) तक शोहर ही के घर रहेगी और उसका खर्च भी शोहर ही के जुम्मे रहेगा लेकिन उनके बिस्तर अलग रहेंगे, कुरआन ने सूरेह तलाक में हुक्म फ़रमाया है कि इद्दत पूरी होने से पहले ना तो बीवी को ससुराल से निकाला जाए और ना ही वो खुद निकले, इसकी वजह कुरआन ने यह बतलाई है कि इससे उम्मीद है कि इद्दत के दौरान शोहर बीवी में सुलह हो जाए और वो तलाक का फैसला वापस लेने को तैयार हो जाएं |
अक्ल की रौशनी ने अगर इस हुक्म पर गोर किया जाए तो मालूम होगा कि इसमें बड़ी अच्छी हिकमत है, हर मआशरे में बीच में आज भड़काने वाले लोग मौजूद होते ही हैं, अगर बीवी तलाक मिलते ही अपनी माँ के घर चली जाए तो ऐसे लोगों को दोनों तरफ कान भरने का मौका मिल जाएगा, इसलिए यह ज़रूरी है कि बीवी इद्दत का वक़्त शोहर ही के घर गुज़ारे |
फिर अगर शोहर बीवी में इद्दत के दौरान सुलह हो जाए तो फिरसे वो दोनों बिना कुछ किये शोहर और बीवी की हेस्यत से रह सकते हैं इसके लिए उन्हें सिर्फ इतना करना होगा कि जिन गवाहों के सामने तलाक दी थी उनको खबर करदें कि हम ने अपना फैसला बदल लिया है, कानून में इसे ही "रुजू" करना कहते हैं और यह ज़िन्दगी में दो बार किया जा सकता है इससे ज्यादा नहीं |
अल्लाह कुरआन में फरमाता है :"यह तलाक जिसमें पति अपनी बीवी की इद्दत के समय में "रुजू" कर सकते हैं] दो बार ही इजाज़त दी है।" (कुरआन सूरह बक्राह,-229)
शोहर रुजू ना करे तो इद्दत के पूरा होने पर शोहर बीवी का रिश्ता ख़त्म हो जाएगा, लिहाज़ा कुरआन ने यह हिदायत फरमाई है कि इद्दत अगर पूरी होने वाली है तो शोहर को यह फैसला कर लेना चाहिए कि उसे बीवी को रोकना है या रुखसत करना है, दोनों ही सूरतों में अल्लाह का हुक्म है कि मामला भले तरीके से किया जाए, सूरेह बक्राह में हिदायत फरमाई है कि अगर बीवी को रोकने का फैसला किया है तो यह रोकना वीबी को परेशान करने के लिए हरगिज़ नहीं होना चाहिए बल्कि सिर्फ भलाई के लिए ही रोका जाए
अल्लाह कुरआन में फरमाता है :और जब तुम औरतों को तलाक दो और वो अपनी इद्दत के खात्मे पर पहुँच जाएँ तो या तो उन्हें भले तरीक़े से रोकलो या भले तरीक़े से रुखसत करदो, और उन्हें नुक्सान पहुँचाने के इरादे से ना रोको के उनपर ज़ुल्म करो, और याद रखो के जो कोई ऐसा करेगा वो दर हकीकत अपने ही ऊपर ज़ुल्म ढाएगा, और अल्लाह की आयातों को मज़ाक ना बनाओ और अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों को याद रखो और उस कानून और हिकमत को याद रखो जो अल्लाह ने उतारी है जिसकी वो तुम्हे नसीहत करता है, और अल्लाह से डरते रहो और ध्यान रहे के अल्लाह हर चीज़ से वाकिफ है | (कुरआन सूरह अल बक्राह-231)
हदीसे नबवी है :सारी हलाल चीजों में अल्लाह के नज़दीक सबसे ना पसन्दीदा चीज़ तलाक़ है | ( अबू दावूद )
लेकिन अगर उन्होंने इद्दत के दौरान रुजू नहीं किया और इद्दत का वक़्त ख़त्म हो गया तो अब उनका रिश्ता ख़त्म हो जाएगा, अब उन्हें जुदा होना है |
इस मौके पर कुरआन ने कम से कम दो जगह
(सूरेह बक्राह आयत 229 और सूरेह निसा आयत 20 में) इस बात पर बहुत ज़ोर दिया है कि मर्द ने जो कुछ बीवी को पहले गहने, कीमती सामान, रूपये या कोई जाएदाद तोहफे के तौर पर दे रखी थी उसका वापस लेना शोहर के लिए बिल्कुल जायज़ नहीं है वो सब माल जो बीवी को तलाक से पहले दिया था वो अब भी बीवी का ही रहेगा और वो उस माल को अपने साथ लेकर ही घर से जाएगी, शोहर के लिए वो माल वापस मांगना या लेना या बीवी पर माल वापस करने के लिए किसी तरह का दबाव बनाना बिल्कुल जायज़ नहीं है |
नोट: अगर बीवी ने खुद तलाक मांगी थी जबकि शोहर उसके सारे हक सही से अदा कर रहा था या बीवी खुली बदकारी पर उतर आई थी जिसके बाद उसको बीवी बनाए रखना मुमकिन नहीं रहा था तो महर के अलावा उसको दिए हुए माल में से कुछ को वापस मांगना या लेना शोहर के लिए जायज़ है |
अब इसके बाद बीवी आज़ाद है वो चाहे जहाँ जाए और जिससे चाहे शादी करे, अब पहले शोहर का उस पर कोई हक बाकि नहीं रहा |इसके बाद तलाक देने वाला मर्द और औरत जब कभी ज़िन्दगी में दोबारा शादी करना चाहें तो वो कर सकते हैं इसके लिए उन्हें आम निकाह की तरह ही फिरसे निकाह करना होगा और शोहर को महर देने होंगे और बीवी को महर लेने होंगे।
अब फ़र्ज़ (assume) करें कि दूसरी बार निकाह करने के बाद कुछ समय के बाद उनमे फिरसे झगड़ा हो जाए और उनमे फिरसे तलाक हो जाए तो फिर से वही पूरा प्रोसेस दोहराना होगा जो मैंने ऊपर लिखा है, अब फ़र्ज़ (assume) करें कि दूसरी बार भी तलाक के बाद वो दोनों आपस में शादी करना चाहें तो शरयत में तीसरी बार भी उन्हें निकाह करने की इजाज़त है। लेकिन अब अगर उनको तलाक हुई तो यह तीसरी तलाक होगी जिस के बाद ना तो रुजू कर सकते हैं और ना ही आपस में निकाह किया जा सकता है।
तफसील के लिए इस लिंक पर Click करे |https://hadithquote.blogspot.ae/2016/03/talaaq-ki-chhoori-aur-halaale-ki-laanat.html
लेकिन याद रहे यह इत्तिफ़ाक से हो तो जायज़ है जान बूझ कर या प्लान बना कर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इस लिए तलाक लेना ताकि पहले शोहर से निकाह जायज़ हो सके यह साजिश सरासर नाजायज़ है और अल्लाह के रसूल (स) ने ऐसी साजिश करने वालों पर लानत फरमाई है।
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यही तलाक का सही तरीका है लेकिन अफ़सोस की बात है कि हमारे यहाँ इस तरीके की खिलाफ वर्जी भी होती है और कुछ लोग बिना सोचे समझे इस्लाम के खिलाफ तरीके से तलाक देते हैं जिससे खुद भी परेशानी उठाते हैं और इस्लाम की भी बदनामी होती है |
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ReplyDeleteI had been in a relationship with a guy and we had unprotected sex for the first time and within a day i got a big bump on the crease of my thigh and vagina. after a few days it began to hurt more and more. I told him to take a picture of it for me, and it looked like open sores, like bugs were biting off my skin or something. So i went to the ER and they said genital herpes. I was soooo depressed. my boyfriend and i cried. he cried for me, but he had no idea he had it too. next day, same thing happens to him. at this point, we think i gave it to him because I was the first one to show the symptoms. well after a while,of going to different doctors i finally met this good doctor called Dr Luke at [DRLUKE001@GMAIL.COM] i can finally say my we are both free from the sickeness and everything change for my life you can also call or text at + 1 2 0 1 5 9 1 3 9 6 1
Pahli baar samajh mein aaya. Halalaka aapne accha zikr bataya. Kya ye hadith se tha.
ReplyDeleteJIO CLOUD ☁️ REFFERAL CODE
ReplyDelete8 December 2021
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