अल्लाह कुरान में फरमाता है
और हमने ये किताब नाजिल फरमाई है जिस में हर चीज़ का साफ़ बयान है एयर हिदायत और रहमत और खुशखबरी है मुसलमानों के लिए ( कुरान, अल-इसरा 17, आयत 89 )
रसूल अल्लाह (स.अ.व.) ने फ़रमाया
“सबसे बेहतरीन कलाम अल्लाह की किताब है और सबसे बेहतरीन तरीका मुहम्मद (स.अ.व.) का तरीका है |” ( सहीह अल-बुखारी, वोलियम 9, किताब 92, हदीस #382 )
ये साबित नहीं है की रसूल अल्लाह (स.अ.व.) दुआ लारने के बाद अपने चेहरे पर अपना हाथ फेरते थे | बहुत सी हदीसे है जो कहती है की रसूल अल्लाह (स.अ.व.) ने अल्लाह को दुवाओ में पुकारा लेकिन कोई साबित रिवायत नहीं है जो कहती है की रसूल अल्लाह (स.अ.व.) ने दुवाओ के बाद अपने चेहरे पर अपना हाथ फेरा | जो ये कहता है की दुआओं के बाद चेहरे पर हाथ फ़ेरना चाहिए वो कुछ हदीस को बयान करते है लेकिन तहकीक करने पर ये पता चलता है की वो हदीस सहीह नहीं है |
रसूल अल्लाह (स.अ.व.) ने फरमाया “जब तुम अल्लाह से दुआ मांगो, सीधी हतेली से मांगो उलटी हातेली से मत मांगो और जब दुआओं को ख़तम करो तो अपने चेहरे पर (अपना हाथो को) फेरलो |” ( सुनन इबने माजाह 3866, इस हदीस को इमाम इबने माजाह ने ज़ईफ़ करार दिया है | )देखे : सुनन इबने माजाह http://Sunnah.Com/Ibnmajah/34/40
यज़ीद इबने सईद अल-किन्दी (र.अ.) रिवायत करते हैदेखे : सुनन अबी दावुद http://Sunnah.Com/Abudawud/8/77
“जब रसूल अल्लाह (स.अ.व.) दुआए मांगते थे वो अपने हाथो को उठाते थे और अपने हाथ अपने चेहरे पर फेरते थे |” ( सुनन अबी दावुद 1492, इस हदीस को अल्बानी ने ज़ईफ़ करार दिया है | )
शैख़ अल-इसलाम इबने तयमियाह कहते है |
रसूल अल्लाह (स.अ.व.) के दुआ में हाथ उठाने के हवाले से ये साबित है क्यूकी बहुत सी सहीह हदीसे है लेकिन दुआ के बाद चेहरे पर हाथ फेरने की सिर्फ एक या दो हदीस है जिन्हें दलाईल के तोर पर नहीं लिया जा सकता है (क्यूके वो हदीसे ज़ईफ़ है |) ( फ़तवा अल-इज्ज़ इबने अब्द अल-सलाम, पेज 47 )
तो शरियत में इस अमल की इजाज़त नहीं है | लोगो को दुआओं के बाद अपने जिस्म पर भी हाथ नहीं फेरने न ही अपने आँखों को चूमना चाहिए |
उलेमाओं ने ये बयान किया है की अंगूठे को चूम कर अपने आँखों पर रखना एक बिद्दत है जो की सुफीयो के तरीके से इजाद हुआ है और जो इसके बारे में हदीसे है वो रसूल अल्लाह (स.अ.व.) पर झूठा मनसूब किया गया है |
अल्लाह हम सब को बिद्दतो से महफूज़ रख्खे , कुरान और सहीह हदीस पर अमल करने की नैक तोफीक़ दे | हिदायते इल्म और दिदायत अ अमल अता फरमाए और हमारी इबादत कबूल फरमाये | आमीन ||
अल्लाह सुभानो वा ताला हम सब को सही दीन सीखने और समझ ने की तोफीक़ दे और सहीह हदीस के मुताबिक अमल की फोफीक दे | आमीन ||
अल्लाह से दुआ है के हम को घर वालो को आप लोगो को और सारे मुसलमानों को कुरान और सुन्नत को सहबा के मनहज पर अमल करने वाला फिर दावत देने वाला बनाये | आमीन या रब्बुल आलामीन |
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