Saturday, May 6, 2017

झूटी हदीस क्यू गढ़ी गई

जिस वजह से हदीस गढ़ी गई उसके कुछ खुलासे इस पोस्ट में किये गए है जेसे. . . .

1. अल्लाह से नजदीकी दिखाने की झूटी नियत अल्लाह से नज़दीकी की नियत झूटी हदीस गढ़ने वाले अपने आप में लोगो को नैक और भलाई की तालीम देने की चाह रखते या उन्हें बुराईयो से रोकना चाहते और कुछ बाते बनाकर हदीसो की सूरत में बयान करते है | ऐसे लोग ख़ास तोर से ज़ाहिद और सूफी होते और ये सबसे बुरी हदीस गढ़ने वाले माने जाते है | क्यूकी लोग उनकी ज़ाहिरी शक्ल और सूरत और तक़वा की वजह से उनकी बातो को बहुत जल्द क़बूल कर लेते है |

मेसरा बिन अब्द रुबा इमाम इब्ने हिबन (र.अ.) ने अपनी कितबुज़्ज़ुआफ़ा में इब्ने मेहदी से रिवायत करते है कि
मेने मैसारा से पुछा आप ये हदीस कहा से लेते है की अगर फल'न फल'न चीज़ पढ़े तो उसके लिए यह सवाब है आदि आदि | तो उसने जवाब दिया कि ये बाते मेरी अपनी गढ़ी हुई होती है | मै इस तरह लोगो को भलाई और नेकी की तरफ बुलाता हूँ |

2. अपने मज़हब की ताईद वा बढ़ावा शियासी व मज़हबी गिरोह के वजूद के बाद जेसे ख्वारजी और शिया आदि , हर गिरोह के लोगो ने अपने मज़हब की ताईद और बढ़ावा के लिए हदीस गढ़ी जेसे की रिवायत है की अली लोगो में सबसे बेहतरीन है और जो इसमें शक करे वोह काफ़िर है |

3. दीन इस्लाम पर बोहतान लगाना जब लोग इस्लाम में कीड़ी और तरह खुले तोर पर बिगाड़ पैदा न कर सके तो ख़ुफ़िया तोर पर उन्होंने यह राय अपना ली और फिर बोहुत सी बाते गढ़ी और नापसन्दीदा बाते हदीसो और रिवायत की शक्ल में लोगो के अन्दर फेलादी, फिर उन्ही की बुनियाद पर इस्लाम को बदनाम करने लगे |

जेसे मुहम्मद बिन सईद शामी एक मशहूर ज़िनदिक थे उसके इन बुरे कामो के बिना पर ही इसे सूली पर लटकाया गया और फिर वोह अलामसलुब ख़याल इसकी गढ़ी हुई एक रिवायत इस तरह है |
जो वो अनस (र.अ) मार्फू'अन ज़िक्र करता था,
मै खातिमुननबीयीन हु मेरे बाद कोई नबी नहीं यह है कि अल्लाह चाहे |

4. वक्त के हुक्मुरान से करीब होना कुछ कमज़ोर ईमान वाले लोग वक्त की हुकूमत की चाहत के लिए कुछ रिवायत गढ़ कर उनके सामने बयान करते उनके यहाँ. अपने दरजात बढ़ने की कोशिश करते थे जेसे...

"घयास बिन इब्राहीम नखाई कूफी उसका मशहूर वाक्या है की जो अमीरुल मोमिनीन मेहन्दी अब्बासी यहाँ पेश आई है ये शक्स जब ख़लीफा के यहाँ गया तो देखा की वह कबूतरों से खेल रहे है उसने जाते ही अपनी सनद से रसूल (स.अ.व) तक एक गढ़ी हुई हदीस सुनाई जो इस तरह है |
आप रसूल (स.अ.व.) ने फ़रमाया मुक़ाबला सिर्फ नेज़ाबाज़ी, ऊँट दौड़, घोड़ो की दौड़ और परिंदों (कबूतर आदि) में ही जाईज़ है |"

गयास ने इस रिवायत में परिंदों के पर या कबूतर के लफ्ज़ अपनी तरफ बढ़ा दिये थे, ख़लीफा खुश हो गया मगर मेहन्दी को इस गढ़ी हुई हदीस का पता चल गया उसने कबूतरों को ज़िबह करने का हुकूम दिया और कहा मेने इस शक्स के ये गढ़े हुए अलफ़ाज़ रसूल (स.अ.व.) के फरमान से ज़ियाद्दती करने पर उभारा है |

5. रिवायतो का बयान रोज़गार का ज़रिया बना लेना कुछ किस्सा सुनाने वाले लोग आवाम में ऐसी झूटी रिवायत बयान करते है जिनमे अजीब सा राज़ होता है | और इस तरह वोह चाहते है की लोग उनकी महफ़िलो बैठे और नज़राना पेश करे |
अबू सईद मद्यानी का नाम इन्ही में शामिल है |

6. मशहूर होने की चाहत कुछ लोग ऐसी ऐसी अनोखी रिवायत बयान करते है की वह किसी और के पास नहीं है, या वोह सनद बदल देते है ताकि लोग उनकी तरफ माईल हो और उनकी मशहूरी हो जेसे इबने अबी दह्या और हिमादुननसीब

हवाला : तैसीर मुस्ताल्हुल हदीस तबरीब रावी, जिल्द 1, पेज 282, 284, 286.

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