Friday, November 8, 2013

मीनारों के विरोधी स्विस नेता ने किया इस्लाम कबूल



मीनारों के विरोधी स्विस नेता ने किया इस्लाम कबूल
स्विट्जरलैंड में मस्जिदों के मीनारों का विरोधी, प्रसिद्ध नेता एवं स्विस मिल ट्री के इन्सट्रक्टर डेनियल स्ट्रेच(Daniel Streich)जो मीनारों की मुखालफत का झण्डा उठाये हुआ था ने इस्लाम कबूल कर लिया है।

वही पहला नेता था जिसने स्वीटजर्लेंड में मस्जिदों ताले लगाने और मीनारों पर पाबन्दी लगाने की मुहिम छेडी थी। उसने अपनी इस इस्लाम विरोधी आन्दोलन को देश- भर में फैलाया था। लोगों से मिलकर उनमें इस्लाम के विरूद्ध नफरत की बीज बोये और मस्जिदों के गुम्बद और मीनारों के लिखाफ आम जनता को खडा कर रहा था।

परन्तु आज वह इस्लाम की सिपाही बन चुका है। इस्लाम के विरोध ने उसे इस्लाम के इतना निकट कर दिया कि वह इस्लाम कबूल किये बगैर न रह सका और अब अपने किये पर इतना शर्मिन्दा है और अब वह स्वीटजर्लेंड में युरोप की सबसे सुन्दर मस्जिद बनाना चाहता है।

दिलचस्प बात यह है कि स्वीटजर्लेंड में इस समय मीनारों वाली केवल चार मस्जिदें हैं और डेनियल स्ट्रेच पांचवीं मस्जिद की बुनियाद रखना चाहता है। उनकी तमन्ना है कि वह दुनिया की सबसे सुन्दर मस्जिद बना सकें और अपने उस गुनाह की तलाफी कर सकें जो उन्होंने मस्जिदों की विरूद्ध जहर फैला कर किये हैं। वह स्वयं अपने आरम्भ किये आन्दोलन के विरूद्ध भी आन्दोलन चलाना चाहते हैं। हालाँकि स्वीटजर्लेंड में मीनार पर पाबन्दी अब कानूनी हेसियत पा चुकी है।

इस्लाम की सबसे बडी खूबी यही है कि विरोध से इसका रंग अधिक निखरकर सामने आता है। नफरत से भी जो इसका अध्ययण करता है वह उसको अपना बना लेता है। जितना इसका विरोद्ध किया जाए उतनी ही शक्ति से इस्लाम उभरकर सामने आता है। आज युरोप में इस्लाम बहुत तेजी से फैल रहा है जिन इलाकों में जितनी कडाई से इस्लाम के विरूद्ध प्रोपगेंण्डा होरहा है वहां उतनी ही तेजी से इस्लाम कबूल किया जा रहा है।

युरोप में सभी जानना चाहते हैं कि इस्लाम को आतंक के साथ क्यूँ जोडा जाता है फिर वह अध्ययण करते हैं ऐसा ही इस नेता के साथ हुआ । डेनियल स्टेच मीनारों के विरोध और इस्लाम दुशमनी में कुरआन मजीद का अध्ययण किया जिससे इस्लाम को समझ सके। तब उसके दिमाग में केवल इस्लाम धर्म में कीडे निकालना था। वह इस्लाम में मीनारों की हकीकत भी जानना चाहता था ताकि मीनार मुखलिफ आन्दोलन में शक्ति डाल सके और मुसलमानों और मीनारों से होने वाले खतरों से स्वीटजर्लेंड की जन्ता का खबरदार कर सके लेकिन हुआ इसका उल्टा। जैसे-जैसे वह कुरआन और इस्लामी शिक्षाओं का अध्ययण करता गया, वह उसके दिल और दिमाग पर छाते गये।

उसके दिल और दिमाग से गुनाह और बुत-परस्ती की तह हटती गयी। न उसे तीन खुदाओं पर विश्वास न रहा। डेनियल स्टेच का कहना है कि वह पहले पाबन्दी से बाईबिल पढा करता था और चर्च जाया करता था लेकिन अब वह कुरआन पढता है और पांचों समय की नमाज अदा करता है। उसे इस्लाम में जिन्दगी के तमाम सवालात का जवाब मिल गया जो वह ईसाइयत में कभी नहीं पा सकता था। वह जो सुन्दर मस्जिद युरोप में बनाना चाहते हैं उसके लिए कुछ दौलतमन्दों ने उनकी साहयता करने का वचन दिया है लेकिन साथ ही यही भी कह दिया कि इस्लाम की महानता के लिए मीनारों और गुम्बदों के सहारे की आवश्यकता नहीं है। मुल्क का कानून मीनारों पर ही पाबन्दी लगा सकता है दिल और दिमाग पर नहीं।

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