Tuesday, May 3, 2016

तावीज़ गन्डे की हकीकत

TAVEEZ KI HAQIKAT

आज हमारे समाज मे दीन धर्म के नाम पर जो गोरखधंधे हो रहे हैं उसे ने आम इन्सान को फ़िक्र हैं न इस हुकुमत के ज़िम्मेदारो को खुसुसी मुस्लिम समाज मे आज कुरान और हदीस की तालीम खत्म हो रही हैं| बिदअत को बढ़ावा दिया जा रहा हैं और सुन्नत को झुठलाया जा रहा हैं| अल्लाह का डर खौफ़ दिल और दिमाग से लोगो के निकल रहा हैं बुराई को आम कर घर-घर मे दाखिल किया जा रहा हैं| लोगो को शिफ़ा के नाम पर ताविज़ और गन्डे को आम किया जा रहा हैं| तावीज़ गन्डे और झाड़-फ़ूंक का ये शिर्किया अमल एक ऐसा रोग हैं के ये जिस समाज मे फ़ैल जाये वो समाज तौहीद(एकेशवरवाद) की तालीम को भूल कर खुल्लम-खुल्ला शिर्क करने लगता हैं और उसे अहसास तक नही होता के वो खुद अपने आप को जहन्नम (नर्क) मे ढकेल रहा हैं| अफ़सोस की बात तो ये के लोग इसे बड़ी खुशी से करते हैं और मीलो का सफ़र भी तय करते हैं|

दरहकीकत ऐसे लोग ताविज़ गन्डे का शिर्क करके तौहीद को चुनौती देते हैं के इस कायनात के पालनहार अल्लाह के मर्ज़ी के बिना भी वो लोगो को बीमारी मे शिफ़ा दे सकते या उनकी तकदीर बदल सकते हैं| मुस्लिम समाज के ये बदअकीदा उल्मा और शिर्क के कारोबार से पेट पालने वाले ये बाबा और मुल्लाओ ने तावीज़ और गन्डे के शिर्किया कारोबार से बिदअत और बुराईयो का बाज़ार गर्मा रखा है| इसके ज़रिये वो न सिर्फ़ अल्लाह पर भरोसे का लोगो से ऐतमाद खत्म कर रहे बल्कि ये उनकी रोज़ी का ज़रिया बना हैं| भोली भाली आवाम अपने दुख-दर्द मे मुब्तला अपनी बदहाली को दूर करने की गर्ज़ से इनके पास जाती हैं और ये जाहिल तावीज़ गन्डे वाले इनसे मन चाही रकम वसूलते हैं| और तो और मुसीबत की मारी आवाम इन धोकेबाज़ो को अपनी परेशानी का मसीहा समझ इनके बहकावे मे आकर अपनी रकम के साथ-साथ अपना ईमान भी गवां देती हैं|

आज आम तौर से लोगो का ये गुमान हैं के तमाम बीमारी, परेशानी का हाल सिर्फ़ तावीज़ और गन्डा हैं और इसके करने वाले ही उन्हे इस परेशानी से निजात दिला सकते हैं| बीमारी चाहे दिमागी हो या जिस्मानी अगर वो किसी डाकटर के इलाज से सही न हो तो लोग उसका हल सिर्फ़ झाड़-फ़ूंक और तावीज़ गन्डे मे तलाशते है| परेशानी चाहे अहलो अयाल की हो या रिश्तेदार की या कारोबारी आज लोगो का अकीदे मे ये शामिल होता जा रहा हैं की उनकी मुश्कीलात का हल झाड़-फ़ूंक करने वाले ही दूर कर सकते हैं| जबकी

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